मँजुल और बीनू बड़ी अच्छी साखियाँ थी. मँजुल की शादी पैसेवाले घर में हुई. तत्काल उसने बीनू की दोस्ती अपने देवर कुमार से करवा दी. पहली होली मनाने मँजुल पति और देवर के साथ मैके पहुँची. रंग और भंग के नशे में डूबे बीनू और कुमार को मँजुल ने अपने कमरे में एकांत भी उपलब्ध करा दिया.
अगले वर्ष कुमार के बैंक पीओ बनने के साथ मँजुल को एक ख़बर बीनू ने भी दिया – वह कुमार के बच्चे की कुंवारी माँ बनने वाली है और कुमार ने उसे शादी का आश्वासन दिया है.काफी सोंचा विचार कर बीनू को मँजुला ने आश्वाशन दिया , घबराने की बात नहीँ है. बस, वह अपनी माँ बनने की ख़बर गुप्त रखे. तकि वह अपने रूढिवादी ससुराल वालों को राजी कर सके. एक दिन शाम के समय मँजुल मिठाई के डब्बे के साथ बीनू के पास पहुँची.
छत पर, बीनू के एकांत कमरे में मँजुल ने हमेशा की तरह अपनी शादीशुदा खुशनुमा जीवन के रंगीन किस्से सुनायें. साथ ही उसे एक खुशखबरी दी. जल्दी ही कुमार उसके घरवालो से उनके शादी की बात करने आने वाला है.
मँजुल आनेवाले एक अप्रैल को अपने पति को अप्रैल फूल बनाने की योजना बना रही थी. दोनो हँसती -खिलखिलाती सखियों ने तय किया, मँजुल अपने पति को अपने आत्महत्या की झूठी चिठ्ठी भेजेगी और जब वह डर कर भागता- दौड़ता आयेगा तब उसका चेहरा देखने में बड़ा मज़ा आयेगा.
मँजुल ने बीनू को चट कलम पकड़ा दिया. बीनू ने दो पंक्तियों में आत्महत्या की धमकी लिख दी. चिट्ठी पूरी होती मँजुल ने उसकी प्रतिलिपि अपने लिखावट में बनाई और नीचे अपना नाम लिख दिया. तभी ,मँजुल को मिठाई के डब्बे की याद आई. उसने डब्बे से लड्डू निकाल बीनू के मुँह में दो -तीन लड्डू ठूँस दिये और दोनो साखियाँ जेठानी – देवरानी बनने के सपने सजाने लगीं.
थोड़ी देर में मँजुल जाने के लिये उठ खड़ी हुई और बोल पड़ी – ” मेरा नकारा पति अपने पिता के काले पैसों पर जीता है और तुम पीओ की पत्नी बनोगी ? मुझे तुम्हारी अच्छाईयाँ हमेशा चुभती थी. जान बुझ कर मैंने कुमार से तुम्हारी दोस्ती करवाई थी. उसे तुममें कोई दिलचस्पी नहीँ है. वह तो हमेशा से ढीले चरित्र का है.”
तभी बीनू अपना पेट पकड़ कर छटपटा कर अर्ध बेहोशी में ज़मीन पर गिर पड़ी. मँजुल ने कुटिल हँसी के साथ कहा – “ओह … लड्डूओं वे अपना काम कर दिया ?” बचे लड्डुओ के डब्बे को बैग में रख , बीनू की लिखावट में लिखी आत्महत्या की चिठ्ठी टेबल पर पेपर वेट से दबा वह चुपचाप निकल गई.
हे भगवान ।
यही तो शाहरूख खान के किरदार ने भी किया था ‘बाजीगर’ फिल्म में ।
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हाँ यह कुछ ऐसी ही कहानी है। इस दुनिया में ये सब धोखा होता रहता है.
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दुःखद…लेकिन बहुत ही उम्दा रचना !
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हाँ , मैने इससे मिलती जुलती घटना कभी सुनी थी उसे ही कहानी का रुप दे दिया. पसंद करने के लिये बहुत धन्यवाद रोहित. 😊
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ohh. bhaut bahut hi satik chitran kiya h aapne…….beautiful
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Dhanyvaad Rohit . 😊😊
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छोटी पर बहुत अच्छी
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शुक्रिया सरिता. मुझे अक्सर महसूस होता है कि लोग छोटी कहानियाँ ज्यादा पढ़ते है. 😊😊
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हाँ सही है आज के माहौल में समय की कमी है इसलिए
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शायद आपकी बात सही है. आज के आपाधापी भरी जिंदगी में लगता है जैसे हम सब भाग रहे है. 😊😊
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yes
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😊😊
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