खुशबू – कविता 

​सब कुछ सँवारते-खुशबू बँटते रहने वालों को  बिखरते देखा है।

पर कांटों के बीच फूलों  का भी तो यही हश्र होते देखा है।

21 thoughts on “खुशबू – कविता 

      1. बस आप लोगो का आशीर्वाद बना रहे। इस तरह की लाइनों को पढ़ कर ही सुकून मिल जाता है।

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      2. जी धन्यवाद , यह तो इस जीवन की सच्चाई है , जिसे मैने व्यक्त करने की कोशिश की है.

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