डोर 

धागा हो   जिंदगी हो  या   जीवन की उलझी डोर 

सुलझाना कभी कभी कठिन हो जाता है .

कभी उलझने  सुलझाने में और उलझ जाती है .

और कभी लगता है डोर हीं ना टूट जाये .

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