बहुत ही खूबसूरत पंक्तिया । हम सभी उस ऊपरवाले से अनजान हैं।बिल्कुल सही कहा मगर आपकी पंक्तिया पढ़ मेरे मन मे कुछ अलग भाव आया जो आपको समर्पित है—–
दुनियाँ रंगमंच और हम किरदार हैं,
इशारे का निदेशक के करते इंतजार हैं,
रंगमंच सज चुका था पर्दा खुला द्वार का,
पाठ मिला था सभी को प्रेम और त्याग का,
पटकथा उलट दिए,छल,कपट भर दिए,
था भरोषा रब को हमने छल उसी से कर दिए,
जंग हुआ मंच पर भागदौड़ मच गई,
पटकथा थी प्रेम की वो नफरतों में ढल गई,
देखता रहा निदेशक मौन हो उदंडता,
लिखता रहा सभी का अब मिलेगा दंड क्या,
हाँ नेपथ्य है जहाँ लौटकर के जाएँगे,
जो किये हैं मंच पर उसकी मजा पाएंगे,
सब पोशाक छीन लेगा पहन गए मंच पर,
ना मिलेगा पाठ कभी जो किए हैं मंच पर,
ना नचाता उंगलियों पर वो भी तो लाचार हैं,
दुनियाँ रंगमंच और हम किरदार हैं।।
बहुत ही खूबसूरत पंक्तिया । हम सभी उस ऊपरवाले से अनजान हैं।बिल्कुल सही कहा मगर आपकी पंक्तिया पढ़ मेरे मन मे कुछ अलग भाव आया जो आपको समर्पित है—–
दुनियाँ रंगमंच और हम किरदार हैं,
इशारे का निदेशक के करते इंतजार हैं,
रंगमंच सज चुका था पर्दा खुला द्वार का,
पाठ मिला था सभी को प्रेम और त्याग का,
पटकथा उलट दिए,छल,कपट भर दिए,
था भरोषा रब को हमने छल उसी से कर दिए,
जंग हुआ मंच पर भागदौड़ मच गई,
पटकथा थी प्रेम की वो नफरतों में ढल गई,
देखता रहा निदेशक मौन हो उदंडता,
लिखता रहा सभी का अब मिलेगा दंड क्या,
हाँ नेपथ्य है जहाँ लौटकर के जाएँगे,
जो किये हैं मंच पर उसकी मजा पाएंगे,
सब पोशाक छीन लेगा पहन गए मंच पर,
ना मिलेगा पाठ कभी जो किए हैं मंच पर,
ना नचाता उंगलियों पर वो भी तो लाचार हैं,
दुनियाँ रंगमंच और हम किरदार हैं।।
LikeLike
Bahut dhanyvaad.
Aapkaa sundar Kavita me man Prassana kar Diya . Ise apne blog par bhi post kar dijiye .
LikeLike
Dhanyawad apka….jee jarur……..kuchh aise post hote hain jo man ko bhaa jaate hain usme se ek ye apka post hai…..
LikeLiked by 1 person
बहुत बहुत धन्यवाद प्रशंसा के लिए .
LikeLiked by 1 person
swagat apka.
LikeLiked by 1 person