ज़िंदगी, तुम्हारे सिखाए सबक़ सीखने के बाद
सूखे दरख़्तों की बयार, पतझड़ की छांव
ख़ाली पन्नों की बातें, मौन नम आँखें
और ख़ामोशी भरी ज़िंदगी भी अच्छी लगती है.
Advertisements
ज़िंदगी, तुम्हारे सिखाए सबक़ सीखने के बाद
सूखे दरख़्तों की बयार, पतझड़ की छांव
ख़ाली पन्नों की बातें, मौन नम आँखें
और ख़ामोशी भरी ज़िंदगी भी अच्छी लगती है.
झुक कर रिश्ते निभाते-निभाते एक बात समझ आई,
कभी रुक कर सामनेवाले की नज़रें में देखना चाहिये।
उसकी सच्चाई भी परखनी चाहिये।
वरना दिल कभी माफ नहीं करेगा
आँखें बंद कर झुकने अौर भरोसा करने के लिये।
images from internet.